Wednesday, 6 September 2017

आजकल

दिन बस यूं ही ढल जाया करता है आजकल, क्योंकि कोई खास वजह नहीं मिलती और तकल्लुफ मैं भी नहीं करता ।
बस ये ही चलता रहता है ज़ेहन में कि तुझे भी तो दिक्कत होगी इस बात से क्योंकि तुझे भी थे आदत मेरी। मुझसे हर रोज़, देर तक बात करने की।

हैरान हूं मैं थोड़ा सा कि वक़्त ने बदल दिया तुझे भी! और खुशी इस बात की है कि तू खुश है इस बदलाव में भी...शायद!
याद कर लिया कर मुझे कभी कभी कुछ अरसे के बाद, शायद मुझे थोड़ा सुकून मिलता रहे बस इस रहमत से तेरी।

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