कोशिश तो की थी कि जीत लुंगा हर किसम के दौरान, मगर ये कोशिश ही थी मेरी बस।
की है मगर...
उम्मीद तो की है कि जो भी हो, जाने नहीं दूंगा तुझे कहीं भी...पर अगर तू खु़द ही चले जाना चाहे...मेरी कोशिशों के बावजूद, तो तुझे ज़बरदसती रोकना भी तो ग़लत होगा ना..
किया मैंने ऐसा भी...
कोई कितना भी कोशिश कर ले, तेरे ख़याल तक जुदा नहीं कर पाता... उम्मीद है इसका ईल्म तो होगा तुझे।
...तो कुछ ऐसी हैं नाकाम कोशिशें मेरी...जो शायद का़मयाब रहें कि मैं इक भरोसेमंद इन्सान बन जाऊं तेरी ज़िंदगी का...
बस ऐसा ना हो कि शायद कभी ईतनी भी जान ना बचे कि कोशिश कर ना सकूं...
अभी तो है...
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